Mahadev Online Betting App Case: डमी कंपनियों के बैंक खातों से शेयरों में लगाए गए पैसे

Mahadev Online Betting App Case: ED महादेव ऑनलाइन बेटिंग ऐप मामले की जांच के तहत 13 अकाउंट्स को फ्रीज कर चुका है। इनमें से ज्यादातर अकाउंट्स दुबई स्थित हवाला ऑपरेटर हरि शंकर टिबरेवाल से जुड़े हैं। ED ने 28 फरवरी को दुबई स्थित हवाला कारोबारी हरि शंकर टिबरेवाल के कोलकाता स्थित परिसर पर छापेमारी की कार्रवाई की थी

अपडेटेड Mar 13, 2024 पर 5:25 PM
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महादेव बैटिंग ऐप स्कैम मामले में अब तक 11 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

Mahadev Online Betting App Case: करोड़ों रुपये के महादेव ऑनलाइन बुक अवैध सट्टेबाजी ऐप घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच से एक और खुलासा हुआ है। सामने आया है कि अपराध की आय को डमी कंपनियों की बैंक एंट्री के जरिए शेयर बाजार में निवेश किया गया। इकानॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी ने इस मामले में आरोपियों से जुड़े डीमैट खातों में मौजूद 1,100 करोड़ रुपये के शेयर जब्त कर लिए हैं। ईडी की जांच से पता चला है कि महादेव सट्टेबाजी ऐप एक कथित अंब्रेला सिंडिकेट है, जो अवैध सट्टेबाजी वेबसाइट्स को नए यूजर्स को एनरोल करने, यूजर आईडी बनाने और बेनामी बैंक खातों के एक लेयर्ड वेब के माध्यम से पैसों की हेराफेरी करने में सक्षम बनाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की व्यवस्था करता है।

बता दें कि मार्च की शुरुआत में ईडी ने महादेव ऑनलाइन बैटिंग ऐप मामले में दो और लोगों को गिरफ्तार किया था। इसमें से एक महादेव ऐप के भगोड़े प्रमोटर्स का भारतीय कनेक्शन सूरज चोखानी है। ईडी के मुताबिक, गिरीश तलरेजा और सूरज चोखानी को क्रमश: 2 और 3 मार्च को हिरासत में लिया गया था। स्पेशल पीएमएलए अदालत ने उन्हें 11 मार्च तक के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है। ईडी के मुताबिक मामले में अब तक 11 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

चोखानी की गिरफ्तारी से क्या हुआ खुलासा

ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, चोखानी की गिरफ्तारी के बाद यह सामने आया है कि एक सट्टेबाजी वेबसाइट ‘स्काईएक्सचेंज’ के माध्यम से, चोखानी ने कथित तौर पर अपनी डायरेक्टरशिप के तहत कंपनियों के माध्यम से 423 करोड़ रुपये (29 फरवरी तक) का हेर-फेर स्टॉक्स में किया। चोखानी 8 प्राइवेट कंपनियों- एबिलिटी गार्नेस, ब्रिलियंट इनवेस्टमेंट कंसल्टेंट, डिस्कवरी बिल्डकॉन, फॉरेस्ट विनकॉम, सवांभूमि वाणिज्य, ड्रीम अचीवर्स कंसल्टेंसी, एबिलिटी स्मार्ट टेक और एबिलिटी वेंचर्स में डायरेक्टर थे। पर्ल डीलर्स नाम की कंपनी का इस्तेमाल चोखानी द्वारा नियंत्रित एंटिटीज को नकदी के बदले बैंक एंट्रीज प्रदान करने के लिए किया था गया। चोखानी की पहचान हरि शंकर टिबरेवाल के मुख्य सहयोगी के रूप में की गई है, जिस पर ईडी को शेयर निवेश की आड़ में कथित तौर पर अपराध की आय को वैध बनाने का शक है।

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